- akansha24dixit
अब खुल कर मुस्करा रही है पृथ्वी!
लॉकडाउन के बाद देश के हर क्षेत्र में प्रदूषण पूरी तरह समाप्त हो गया। अब यहां की नदियों में स्वच्छ-निर्मल पानी है, हवा में मिट्टी का सौंधा पन है और आकाश हंस के समान सफेद है। अब सड़कों पर भी सिर्फ उड़ते हुए पत्ते ही दिखते हैं, उनके साथ उड़ती पन्नियां नहीं। अब घर के बगीचे में चिड़ियों की चहचहाहट अधिक सुनाई देती है, साथ ही अब सुबह के सूरज का तेज भी शीतल लगता है।
ठीक से सोचने पर भी आसपास का ऐसा कोई साल याद नहीं आया जब अखबार में देश में बढ़ते प्रदूषण की कोई खबर न आई हो। पर आज हालात इतने सुधर गए कि पत्रकारों की कलम चाह कर भी देश के वातावरण की आलोचना नहीं कर पा रही है।
बचपन में सुना था कि पृथ्वी हम मनुष्यों का घर है, पर अब यह सत्य एक अनकहे झूठ सा लगता है। क्योंकि कुछ समय पहले तक पृथ्वी का हाल देख कर यह घर जैसी तो बिल्कुल नहीं लगती थी। ऐसा इसलिए, क्योंकि मनुष्य के ईंट और चूने से बने मकानों में तो कचरे का ढेर नहीं दिखता है और ना ही इन मकानों में सीवेज की दुर्गंध आती है।
हम सब हमेशा से अपने मकानों की स्वच्छता पर पूरा ध्यान देते आ रहे हैं, पर हमारे असल घर, पृथ्वी की स्वच्छता को हम हमेशा से नजरअंदाज ही करते आए हैं। हमने यह कभी नहीं सोचा कि अगर पृथ्वी ही नहीं रहेगी तो हमारे इन मकानों का क्या अर्थ रह जाएगा।
ईश्वर ने पृथ्वी हम मनुष्यों के लिए बनाई थी, लेकिन हमने इसका बुरा हाल कर दिया। अब हालात यह हो गए कि हमे अपने प्राण गवा कर अधमरी हो चुकी पृथ्वी को जिवित करना पड़ रहा है।(आजकल के हालात को देखते हुए मैं यह लिख रही हूँ, क्योंकि आज जहां कई लोग अपने प्राण गवां रहे हैं और तमाम लोग घरों में कैद है, तभी हमारी पृथ्वी पूरी तरह से स्वस्थ है।)
चूंकि आज हमारी पृथ्वी स्वस्थ है, इसलिए अब हमे आगे आकर इसके सदैव स्वस्थ बने रहने के बारे में विचार करना होगा। हमे साथ मिलकर ऐसे उपाय खोजने होंगे, जिससे लॉकडाउन के बाद भी देश में प्रदूषण न फैले। हमारी नदियां सदैव हमें स्वच्छ जल दे सकें, हवा सांस लेने योग्य हो और आकाश दिन में पक्षियों से और रात में तारों से भरा हो। इस सुनहरे कल के लिए हमें आज से ही प्रयास शुरू करने होंगे। हालांकि इसकी शुरुआत सरकार के सहयोग के बिना मुश्किल है। माना देश के तमाम मंत्री मंडल कोरोना जैसे घातक वॉयरस से जूझ रहे लोगों की सुरक्षा में निहित हैं। पर आने वाले समय में कोरोना या कोई अन्य स्वास्थ्य समस्या देश में न पनप सके इसपर भी विचार जरूरी है।
- आकांक्षा दीक्षित (Content writer, WLS)