गोबर, सिलबट्टा और एक खाली दूध की बाल्टी से चमत्कार के पीछे का सच Myth Buster Series-1
दोस्तो आपने आज कल व्हाट्सएप और अन्य सोशल मीडिया पर एक मेसेज बहुत ज्यादा सर्कुलेट होते हुए , वाइरल होते हुए देखा होगा । जिसमे एक आदमी एक सिलबट्टे को धो कर, उस पर एक खाली दूध की बाल्टी रखता है और उस बाल्टी को सिलबट्टे पर रख कर उसके चारों तरफ ताजे गोबर को लगाता है उसके बाद वो उस बाल्टी से भारी सिलबट्टे को उठा लेता है । उसके बाद शुरू होते है चमत्कार होने के दावे और जयकारे ।
ये रहा वो वाइरल वीडियो
फिर हमारे पास हिन्दू कॉलेज, इटावा के भौतिक विज्ञान के प्रवक्ता श्री प्रदीप कुमार यादव सर का इस चमत्कार के पीछे के विज्ञान को समझाते हुए एक वीडियो मिला जिसे हमने उनकी अनुमति से जोड़ कर एक Myth Buster वीडियो बनाया है । जो कि नीचे दिया हुआ है ।
गोबर, सिलबट्टा और एक खाली दूध की बाल्टी से चमत्कार के पीछे का सच
प्रदीप सर के अनुसार जब हम दूध की बाल्टी को सिलबट्टे पर रखते है तब बाल्टी की तली और सिलबट्टे के बीच बहुत की कम वायु रह जाती है और जब हम उसे ताजे गोबर से चारो तरफ से लेप लगा के अच्छे से बंद कर दिया जाता है तब ये हवा बाहर नहीं निकल पाती । ज्योंहि हम बाल्टी के हत्थे को ताकत से ऊपर की ओर उठाते है तब इस हवा फैलने के लिए जगह मिलती है । यानि कि हवा का आयतन बढ़ जाता है । और प्रदीप सर बताते है कि ज्योही सिलबट्टे और दूध की बाल्टी के तली के बीच फंसी वायु का आयतन बढ़ता है तो इस क्षेत्र में (गोबर के भीतर फंसी वायु का) दाब, गोबर के चारो ओर से और सिलबट्टे के नीचे तली के नीचे से लगने वाले वायुमंडलीय दाब से बहुत ज्यादा कम हो जाता है । जिससे एक हल्की बाल्टी मात्र ताजे गोबर से जुड़े होने के बाद भी अपने से कई गुना भारी सिलबट्टे को उठा लेती है ।
जिसे आप नीचे दी गए तस्वीर के माध्यम से समझ सकते है ।

photo courtesy: Sri Abhimanu, SKYAAC
अब कुछ समझ में आया आपको, इस प्रयोग में सिर्फ और सिर्फ हमारा वायुमंडलीय दाब अहम किरदार निभा रहा है । ये हमारा वायुमंडलीय दाब ही है जो कि गोबर, बाल्टी और सिलबट्टे के बीच के कम दाब पर अपना दबाव बनाता है। जिससे भारी सिलबट्टा उठ सकता है । ये ठीक उसी तरह का कॉन्सेप्ट है जिस प्रकार हम घरों में लगने वाले वैक्यूम क्लिप्स या वैक्यूम सक्शन पंप का प्रयोग करते है ।
photo courtesy : indiamart
प्रदीप जी हिन्दू कॉलेज इटावा में भौतिक विज्ञान के प्रवक्ता है जो कि विज्ञान के लिए पूरी तरह से समर्पित हैं । इनका बच्चो से बेहद लगाव है तथा भारत के महान वैज्ञानिक डॉक्टर ए. पी. जे. अब्दुल कलाम प्रदीप जी के रोल मॉडल है। उनसे ये इतना प्रभावित हुए कि उनकी तरह ही बच्चो को विज्ञान से जोड़ने, उनमें रुचि जगाने के लिए प्रदीप जी ने बच्चो के लिए "काका कलाम क्लब" की स्थापना की और खुद वे इसके कोऑर्डिनेटर है । प्रदीप जी विज्ञान, एस्ट्रोनॉमी, मैथमेटिक्स के विभिन्न प्रयोग के खुद कर के बच्चो को दिखाते है । उनका मानना है कि यदि बच्चो को प्रयोग कर के दिखाए जाए तो भौतिकी के सिद्धांतो को बच्चे रटना छोड़ कर समझना शुरू करेंगे ।

Sri Pradeep Kumar Yadav, Lecturer, Hindu College, Etawah
Photo Courtasy: Sri Pradeep Sir
काका कलाम क्लब, विज्ञान प्रसार, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय, भारत सरकार से सम्बद्ध है । जिसका रजिस्ट्रेशन नंबर VP-UP- 0179 है ।काका कलाम क्लब प्रत्येक माह बच्चो के लिए कई सारी वैज्ञानिक गतिविधियां कराता रहता है । प्रदीप जी कहना है कि जब उनके नजर में ये वीडियो आया तो उन्होंने बच्चो को इस भ्रामक वीडियो के पीछे का विज्ञान समझाने के लिए खुद का एक वीडियो शूट किया । और सभी जानने वालो को भेजा । ताकि लोग भ्रम में ना रहे । एक सच्चे विज्ञान के गुरु ने अपनी जिम्मेदारी ली और इसके पीछे छिपे विज्ञान को हम सब के सामने लाए । जिसके लिए हम सब उनके आभारी है और तहे दिल से यह चाहते है कि उनका विज्ञान को बच्चो के बीच सरल भाषा और प्रयोगों के माध्यम से के जाने का सफ़र अनवरत चलता रहे ।

काका कलाम क्लब का यूट्यूब चैनल है जिसे आप subsribe कर सकते है । लिंक नीचे दिया है :-
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काका कलाम क्लब की गतिविधियां आप यहां देख सकते है ।
प्रदीप सर से विज्ञान से जुड़े किसी भी सवाल के लिए आप उन्हें ई- मेल भेज सकते है । प्रदीप जी का email address यहां दिया गया है ।
स्वप्निल रस्तोगी,
स्काई अमेच्योर एस्ट्रोनॉमर क्लब
स्काई फाउंडेशन
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